आध्यात्मिक अनुभवों और दिव्य आशीर्वाद से प्रेरित, शशिकांत नागर मानवता की सेवा में समर्पित एक प्रसिद्ध आध्यात्मिक मार्गदर्शक हैं। माँ काली की कृपा से प्रेरित होकर, उन्होंने अपनी अनूठी क्षमताओं का उपयोग मंत्र-आधारित उपचार, आध्यात्मिक मार्गदर्शन और व्यक्ति विशेष के विकास के माध्यम से अनगिनत लोगों के जीवन को बदलने के लिए किया है।
शशिकांत नागर की आध्यात्मिक यात्रा 22 जनवरी 1996 की उस अविस्मरणीय रात शुरू हुई जब लगभग 1:30 बजे वे त्रिकुटा पहाड़ियों पर माता वैष्णो देवी के पवित्र दरबार के दर्शन के लिए चढ़ाई कर रहे थे। यह एक अनोखा और अलौकिक क्षण था। अचानक, एक ऊर्जा ने उन्हें घेर लिया. उनका रक्तचाप बढ़ने लगा, दृष्टि धुंधली हो गई, और उनके इर्दगिर्द एक रोशनी चमकने लगी। इस ध्यान-समान स्थिति में, एक दिव्य आवाज उन तक पहुँची। एक महिला की मधुर, ममतामयी और अनंत ऊर्जा से भरी आवाज़ ने उन्हें अपना "मानस पुत्र" कहकर संबोधित किया और आश्वासन दिया, "कि तुम आगे बढ़ो; मैं तुम्हारे साथ हूँ।" यह क्षण उनकी आत्मा के भीतर एक आध्यात्मिक शक्ति के जागरण का प्रतीक था। मानो उनके भीतर शक्तिपात हो गया।
वैष्णो देवी यात्रा से लौटने के बाद, शशिकांत ने अपने भीतर गहरे बदलाव महसूस किए। कभी-कभी किसी व्यक्ति को देखते ही उसके जीवन के अंश—अतीत, वर्तमान और भविष्य—उनके सामने झलकने लगते। यह अनुभव आश्चर्यचकित करने वाला था, लेकिन समय के साथ उनकी समझ में आ गया कि यह एक दिव्य उपहार है, जो उन्हें एक उच्च एवं श्रेष्ठ उद्देश्य के लिए सौंपा गया है।
पाँच साल बाद, गुजरात के गांधीनगर से पावागढ़ की यात्रा के दौरान,
उनके जीवन में एक और अद्भुत घटना घटी। बस में परिवार के साथ यात्रा करते समय, शशिकांत
गहरे ध्यान में चले गए। उनके चारों ओर की हर चीज़ विलीन हो गई, और उन्हें समय और स्थान
का कोई बोध नहीं रहा। सारी यात्रा मानो यंत्रचलित रूप से संपन्न हो गई. लगभग ऐसी ही
स्थिति में वे अपने गृहनगर रतलाम, मध्य प्रदेश पहुँचे. वहां पहुंचकर उन्होंने महसूस
किया कि उनकी क्षमता और विकसित हो गई है। अब, न केवल वे लोगों के जीवन को गहराइयों तक
देख सकते थे, बल्कि उनके बारे में सोचते ही उनकी ज़िंदगी की पूरी तस्वीर उनके सामने एक
न्यूज़ चैनल की टिकर की तरह प्रकट हो जाती थी।
2001 में इस अनुभव के बाद, शशिकांत ने पूर्ण रूप से अपने इस आह्वान को स्वीकार कर
लिया। उन्होंने अपनी असाधारण क्षमताओं का उपयोग मानवता की भलाई के लिए करने का संकल्प
लिया, यह विश्वास करते हुए कि माँ काली हमेशा उनके साथ हैं।
तब से, शशिकांत नागर अनगिनत व्यक्तियों के लिए आशा का प्रतीक बन गए हैं। मंत्रों की दिव्य शक्ति के माध्यम से, वे स्वास्थ्य समस्याओं, आर्थिक परेशानियों, करियर में रुकावटों और आध्यात्मिक जागृति जैसी चुनौतियों का समाधान प्रदान करते हैं। उनका दृष्टिकोण विनम्रता, सहानुभूति और माँ काली की दिव्य ऊर्जा में अटूट विश्वास पर आधारित है।
आज उनकी यात्रा ने देवीशक्ति के रूप में आकार लिया है, जो एक ऐसा केंद्र है जहाँ हर वर्ग के लोग उनकी बुद्धिमत्ता और मार्गदर्शन की खोज में आते हैं। चाहे सांसारिक समस्याओं का समाधान हो या आध्यात्मिक यात्रा की शुरुआत, शशिकांत नागर के मंत्र-आधारित समाधान ने कई लोगों को शांति और सफलता दिलाई है। उन्हे स्वयं अपने बारे में और अधिक स्पष्टता से समझने मे मदद की है ।
शशिकांत नागर के लिए, सब कुछ माँ काली से शुरू होता है और उन्हीं पर समाप्त होता है। उनका आशीर्वाद उनकी यात्रा को शक्ति देता है, और उनकी उपस्थिति उन्हें अपने मिशन को जारी रखने की हिम्मत देती है। वे अक्सर कहते हैं, "यह मैं नहीं जो लोगों का मार्गदर्शन करता हूँ—यह माँ काली हैं जो मेरे माध्यम से काम करती हैं। मैं केवल उनका उपकरण मात्र हूँ।"